Monday, January 2, 2012

गुस्ताखी माफ़




भाई अब भी मेरी उससे बात होती है. ऐसा नही है की दूर जाने से रिश्ते ख़तम हो जाते हैं पर अगर वो रिश्ते सच्चे हो तो दूर जाने से उनकी गहराई और बढ़ जाती है. मुझे हसी गई उनकी ये बात सुनकर. वह मालिक क्या खतरनाक dialog  मारा है खुदा कसम मज़ा ही गया. कहाँ से सीखा है माशाल्लाह ऐसा धांसू punch? खैर छोड़ो जाने दोकहीं से भी सीखा हो हम कौन सा वहां जाके उसकी कमाई में टांग डाल देंगे.
तो क्या बातें करते हैं जनाब आप उनसेहमने बड़ी ही बेशर्मी से उनसे पूछ लियाआखिर दोस्त हैं हमारे इतना हक तो बनता है हमारा.
कुछ ख़ास नही बस हाल चाल और सारे दिन का ब्यौरा वगैरह
इन्होने बड़े ही भोले अंदाज़ में कहा.हम भी कहाँ चुप रहने वालों में से हैं. हमने भी अगला दाव खेल दिया
अरे मिया थोडा ब्यौरा वैग्रेह हमें भी सुना दो उनका हमें भी तो एहसास हो की जनाब किस गुले गुलिस्तान में मंडरा रहे हैं
बेचारे शर्म से लाल होने लगे तो हमसे देखा नही गया. भाई कोई मोहतरमा हों तो उनका चेहरा लाल होते देखने में कोई मज़ा भी है, अब इस मरदाना चेहरे के लाल होने में क्या सुकून मिलता इसीलिए कह दिया की रहने ही दीजिये वर्ना कहीं आपका व्याख्यान सुनकर हमारा दिल उनपर  गया तो जो आपको खुशनसीबी से एक निशाना नसीब हुआ है वो भी छिन जाएगा.  
यार तुम तो बड़े बेमुरव्वत हो. खुदा से डरोतुम्हारी भाभी होती हैं वो और तुम उनके लिए इस तरह की बातें करते हो. कुछ तो शर्म करो.
मिया आपका इश्क इश्क और हमारा इश्क चूजा. अरे हम भी आपके लंगोटिया यार हैंदेखे हैं हमने भी की कितनी भाभियाँ हैं हमारी.
शर्म तो आपको करना चाहिएअभी गिनती करा दे कितनी मह्तार्माओं को तो हुमने ही समझाया की जाने दीजिये भाभी जी लड़का नादाँ हैनिरा मुरख है,
आप अपना खून ऐसे इंसान के लिए मत जलाइए जिसे आपकी तनिक भी फ़िक्र नहीं है. और आप क्यूँ फ़िक्र करती हैं अभी हम तो हैं ही.
हम किस दिन के लिए हैं, और कोई भी बात या फिर परेशानी हो तो बेझिझक हमसे कहिये आखिर हम भी तो आपके आशिक के जिगरी दोस्त होते हैं कुछ तो बात हममे भी होगी ही.    
खैर इतना सब भाई साहब से सुना नही गया और तुरंत ही चीख पड़े. रहने दो उस्ताद, असल बात तो ये है की उन लड़कियों की भी नज़र हमसे जादा आप पर थी. ले दे के एक ही बच गई जिन्हें अब तक आपसे मिलने का मौका नही मिला वर्ना आज जो बातें वो हमसे कर रही है वो आपसे कर रही होती. जाने क्या जादू कर देते हैं आप की कम्भख्त मरी जाती हैं तुम्हारे ऊपर. इसीलिए आपसे दरख्वास्त है कृपा करके इनसे दूर रहें और अपने जिगरी दोस्त यानि की हमें सुकून से रहने दें.
खुदा गवाह है की उनके मुह से अपनी ये तारीफ़ सुनकर दिल बाग़ बाग़ हो गया. और हमने भी अपनी दरियादिली दिखाते हुए कह दिया ' दोस्त ये एक राजपूत की ज़बान है पर मिया दोस्ती के बीच लड़की कहाँ से गई?'
खैर वो बात और है की उनका मुह खुला ही रह गया...
इंशाल्लाह अब तक तो वो समझ गए होंगे की हम सुधर जाये ये हो नही सकता...हालाँकि हम बिगड़े भी नही हैं पर उन्हें कौन समझाये...उनसे तो हम इतना ही कह पाए की बंधू गुस्ताखी माफ़...

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