Tuesday, May 5, 2015

Young Love !!

Yet another one from my brother Rohit.









पढ़ती थी साथ, वो मेरे स्कूल में
हो गया था प्यार, यूँ ही एक भूल में
दीदार उनका अब मेरे दिल को भाता था
इसीलिए अब उनकी गलियों क चक्कर लगाता था
उनके प्यार का सपना अब अपने मन में बन लिया
लगा के भगवन ने भी अब मेरी सुन लिया

की मैंने उनसे बात, जब नोट्स के बहाने
कर के नज़र नीचे जब लगी मुस्कुराने
उनकी उन मासूम आँखों में मैं खो गया
धीरे धीरे लगता है अब प्यार हो गया
लग रहा था जैसे सब कुछ मिल गया
बंजर ज़मीन पे जैसे फूल खिल गया
फिर दिन आया जब नसीब मुझसे रूठ गया
दोनों का साथ एकदम से छूट गया

दिन से महीने, महीनो से साल हो गए
पर उनकी यादें ऐसी की हम बेहाल हो गए
न जाने फिर आज कैसे उनका दीदार हो गया
ब्रेक अप के बाद भी जिनके लिए बेक़रार हो गया
न जाने आज सूरज कहाँ से निकला था 
उनका दिल आज फिर मेरे लिए पिघला था

कह रही थी कुछ कुछ उदास होते हुए
सम्हाला खुद को उनकी आँखों में खोते हुए
पाया उसे फिर अपने कंधो पे रोते हुए
मुझे छोड़ जाने का पछतावा होते हुए
उनके आंसुओं में आज बनावटीपन न था
पर फिर से दिल लगाने का अब मेरा मन न था

तब तक सुबह के अलार्म ने मुझे जगा दिया
ज़िन्दगी की दौड़ ने उसे वापस भुला दिया
आगे की बात कभी और सुनाऊंगा
अपना लिखा पढ़ा के उसे और सताऊंगा

4 comments:

  1. Waah..he writes amazing poetry...Kudos to Rohit!

    Yours,
    Aunty

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